Description
पुस्तक के बारे में
हिन्दू धर्म ग्रन्थों और शास्त्रों में भगवान शिव को न्याय के देवता श्री शनि देव का गुरु बताया गया है। यह तथ्य अपने आप में अत्यंत रोचक है क्योंकि भगवान शिव को संहारक और पुनर्निर्माण करने वाले देवता के रूप में जाना जाता है, जबकि शनि देव को न्याय और कर्मफल के देवता के रूप में। यह माना जाता है कि न्याय करने और किसी को दण्डित करने की शक्ति स्वयं शनि देव को भगवान शिव के आशीर्वाद से ही प्राप्त हुई। यही कारण है कि शनि देव अपने कठोर न्याय और निष्पक्ष निर्णयों के लिए प्रसिद्ध हैं।
इस पुस्तक में शनि देव के बारे में अत्यंत विस्तृत और प्रामाणिक जानकारी प्रस्तुत की गई है। पाठकों को यह पुस्तक न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ज्ञानवर्धक लगेगी, बल्कि यह पौराणिक कथाओं और धार्मिक ग्रंथों की गहराई में जाकर शनि देव के व्यक्तित्व को समझने का अवसर भी प्रदान करेगी। शनि देव के जन्म से संबंधित जितनी भी पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, उनका सुंदर और क्रमबद्ध वर्णन इस पुस्तक में किया गया है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, शनि देव सूर्य देव और छाया (संवर्णा) के पुत्र हैं। उनकी जन्मकथा में कई रहस्यमयी पहलू हैं, जिनका उल्लेख इस पुस्तक में किया गया है। यह भी बताया गया है कि कैसे शनि देव ने अपने तप और साधना से वह शक्ति प्राप्त की, जिसके बल पर वे समस्त ग्रहों में सबसे प्रभावशाली माने जाते हैं।
शनि ग्रह को समूचे ब्रह्मांड में एक विशेष स्थान प्राप्त है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि ग्रह मनुष्य के जीवन में कर्मफल का निर्धारण करता है। यदि व्यक्ति ने अच्छे कर्म किए हों तो शनि देव उसका जीवन सुखमय बनाते हैं, लेकिन यदि कर्म पथ से विचलित हो जाएं, तो शनि देव उसे कठिनाइयों और संघर्षों का सामना कराते हैं। यही कारण है कि शनि को न्याय का देवता कहा जाता है। यह पुस्तक शनि देव की इसी न्यायप्रियता और उनकी दिव्य शक्तियों का संपूर्ण परिचय कराती है।
इसके अलावा, पुस्तक में यह भी बताया गया है कि शनि देव की महादशा और साढ़ेसाती जैसे योग व्यक्ति के जीवन पर कैसे प्रभाव डालते हैं। इन अवधियों में व्यक्ति को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है और उनसे निपटने के लिए कौन-से उपाय कारगर हो सकते हैं—इन सभी पहलुओं पर भी विस्तार से चर्चा की गई है। पाठकों को यह पुस्तक ज्योतिष, अध्यात्म और पौराणिक कथाओं का अनूठा संगम प्रदान करती है।
सम्पादिका के बारे में
इस पुस्तक की सम्पादिका सुश्री प्रवेश जौहर जी हैं, जिन्होंने इस पुस्तक के माध्यम से पाठकों को शनि देव के विषय में संपूर्ण और सटीक जानकारी देने का प्रयास किया है। प्रवेश जी का बचपन से ही पुस्तकों के प्रति गहरा लगाव रहा है। उन्हें पढ़ने-लिखने और नई-नई बातों को जानने की असीम जिज्ञासा रही है। यही कारण है कि वे अपने स्कूली दिनों से ही धार्मिक, साहित्यिक और दार्शनिक पुस्तकों में गहरी रुचि लेती रही हैं।
प्रवेश जी की विशेषता यह है कि वे किसी भी विषय को सरल और सहज भाषा में प्रस्तुत करने में दक्ष हैं। उन्होंने हमेशा प्रयास किया है कि पाठक न केवल विषयवस्तु को पढ़ें, बल्कि उसे गहराई से समझें भी। यही गुण उनकी इस पुस्तक में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
कई वर्षों तक विभिन्न पब्लिशिंग हाउस में कार्यरत रहने के कारण उन्हें पुस्तक निर्माण की बारीकियों की गहरी समझ प्राप्त हुई। उन्होंने न केवल लेखन कार्य में रुचि दिखाई, बल्कि सम्पादन के क्षेत्र में भी अपनी पहचान बनाई। इसी अनुभव और लगन का परिणाम है यह पुस्तक—“न्याय के देवता श्री शनि देवता”।
प्रवेश जी का मानना है कि शनि देव के विषय में लोगों के मन में कई तरह की भ्रांतियां और डर हैं। लोग अक्सर शनि देव को केवल कष्ट देने वाला मान लेते हैं, जबकि वे वास्तव में न्यायप्रिय और निष्पक्ष देवता हैं। यही संदेश वे इस पुस्तक के माध्यम से पाठकों तक पहुँचाना चाहती हैं।
उन्होंने इस पुस्तक में शनि देव से जुड़ी पौराणिक कथाओं, धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषीय तथ्यों को एक ही स्थान पर समेटने का प्रयास किया है। इससे पाठकों को न केवल धार्मिक ज्ञान मिलेगा, बल्कि वे यह भी समझ पाएंगे कि हमारे जीवन में ग्रहों और कर्मों का क्या महत्व है।
अंत में, प्रवेश जी पाठकों से आग्रह करती हैं कि वे इस पुस्तक को पढ़ने के बाद अपनी राय अवश्य दें ताकि भविष्य में और भी बेहतर और उपयोगी पुस्तकें प्रस्तुत की जा सकें।
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